नया नया था अपना याराना,
हुआ बहुत पुराना सा लगता है
कल तक जताते थे वो अपनापन
आज बीता जमाना सा लगता है
इतनी जल्दी दिल भर जाएंगे
सोचा न था ………………….!
मगर क्या कहे……………….!
ये किस्सा फिर वही पुराना लगता है !!
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डी. के. निवातियाँ [email protected]
वक़्त ने ऐसे ही हालत बना दिए हैं……….बहुत अच्छे से भावों को पिरोया है आपने.
बहुत बहुत धन्यवाद विजय जी ………!!
अति सुन्दर……..
thanks shishir ji……..
Kya baat hai…Chand lafzon mein rishton ko nichod diya aapne….bahut hi khoobsoorat..Waah…
thank you very much…..babbu ji
बहुत ही सुंदर लाइन्स लिखी है “कल तक जताते थे वो अपनापन आज बीता जमाना सा लगता है” क्या बात है बहुत खूब l
Bahut Bahut Dhanyvaad Rajeev ji
बहुत ही सुंदर लिखा है अपने ….
thanks Abhishek……….
हालत बदलते देर नहीं लगती निवातियाँ सर…….अत्यंत सुंदर और अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति आपकी लेखनी से…….!
बहुत बहुत धन्यवाद ………………सुरेन्द्र जी !!