About The Author
Born at Hapur, Uttar Pradesh. Studied at Meerut University and Banaras Hindu University. Currently working as Scientist in TIFAC, New Delhi and stays at Ghaziabad. Has hobby of writing both Hindi and English Poems. Published four Hindi poetry books titled, "Yadon Ke Nasoor" , "Rooh Ke Ehsaas" , "Nishaniyan" and “Tadap”, which are easily available online at various e-commerce sites such as flipkart and amazon etc. Few english poems have got international recognition and have been used by people in their presentations, articles and reserach work.
आपने काव्य ज्ञान को विज्ञानं के साथ पिरोया है….अति सुन्दर…………
धन्यवाद विजय ………………
Bahut khoob….pyar ka junoon hi aisa hai…behtareeeeennn..
Thank you so very much Babbu ji
बहुत बहुत लाजवाब….
मनोज रचना पढ़ने और सराहने के लिए आभार
अच्छी रचना………….
धन्यवाद योगेश ……………………
अति सुन्दर ………………….
आभार निवातियाँ जी………………
सुन्दर ………………….
धन्यवाद अभिषेक………………….
सही कहा है आपने प्यार में सपने और सपने में वो, जब आये वो तो खुश हो जाये वो जालों में बुनकर किस तरह से दिल की ख़ुशी का इजहार किया है आपने बहुत खूब l
राजीव रचना पढ़ने और सराहने के लिए धन्यवाद
शिशिर सरसर प्रथम दो पंक्तियाँ बहुत ही लाजबाब और अथेष्ट हैं पर शायद अंतिम पंक्ति में वह ओज नहीं निकल रहा। आप बहुत अनुभवी है इसलिए डरते डरते और माफ़ी मागते हुए यह शब्द लिखा हूँ। बुरा लगे तो पुत्र समझ माफ़ कर दीजियेगा और बात सार्थक लगे तो कुछ सुधार….!
सुरेंद्र आपकी सकारात्मक आलोचना का सर्वथा स्वागत है. लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि अंतिम दो पंक्तियों में मैंने प्रेम की निरंतरता को दर्शाने के लिए धरती और सूरज के गत्यात्मक साम्य की निरंतरता को उद्घृत किया है जिसके कारण ही पृथ्वी पर दिन रात होते हैं. इसी सत्य को एक गीत में कवि ने इस तरह भी कहा है ; धरती छोड़े ना सूरज का फेरा, साथ छोड़ेंगे यूँ हम ना तेरा.
धन्यवाद सर…………!