तुम्हारी आँखों से गिरकर मिटटी में मिल गया,
रवि ने छटा बिखेरी तो बादल निगल गया,
पवन के साथ दौड़ लगा दूर निकल गया,
पर्वत ने रास्ता रोका तो बादल फट गया,
तूफानी बारिस में फिर रूप पिघल गया,
बस इतनी खता थी पलकों से फिसल गया ।
दिल के भावों को लेखनी का सहारा है, समाज को बेहतर बनाना कर्तव्य हमारा है. आइये आपका स्वागत है हमारे लेखन के दरबार में, पलकें बिछाए बैठे हैं हम आपके इंतज़ार में.
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पटना, बिहार
Lovely thoughts for tears of beloved
Thank you very much sir.
Khata bahut achhi hai….
Thanks for like.
गजब…………..शब्द नहीं आपकी रचना के लिए मेरे पास……लाजबाब…..!
Thanks for like.