प्यार के गीत सुनाओ के रात बाकी है अभी….
दिल पे तीर और चलाओ के रात बाकी है अभी…
कहो रकीब से जा के उसे क्या है जल्दी पड़ी…
मय्यत मेरी न सजाओ के सांस बाकी है अभी….
तेरे ही हुस्न के सदके है जिस्म में नूर मेरे….
चश्में साकी से पिलाओ के ताब बाकी है अभी…
न कहें तुमसे तो फिर हाल-ऐ-दिल कहें किस से…
न सही प्यार दर्द का रिश्ता तो बाकी है अभी….
महफ़िल से यूं उठा के कहाँ लिए जाते हो तुम मुझको…
जाम नज़रों के और पीने दो के होश बाकी है अभी…
तब्बसुम शबनमी होठों का मिले तो कुछ सुकून मिले “चन्दर”…
रूह आज़ाद हो ता उम्र की चाहत से दिल में दबी जो बाकी है अभी….
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/सी.एम. शर्मा (बब्बू)
बब्बू जी बेहतरीन. आनन्द आ गया
Kya baat hai aapki…aapki pratikirya bhi nirutar kar deti hai…anand aa gaya…Sach mein aap ke aisa kahne se mera likhna safal hua…mera bhi tann mann pulkit hua…bahut bahut aabhaar aapne parsaad roopi vachnon ka…
बहुत बेहतरीन रचना ………एक एक शब्द एक कहानी बयान कर रहा है ………..आपकी रचनात्मकता लाजबाब है बब्बू जी !!
Abhibhoot ho gaya aapke pyar bhare vachnon se….shabad nahin mere paas aap ke ashirwaad ka shukriya karne ko…bahut bahut aabhaar…
बड़ी ही खूबसूरत रचना है ।
Thanks a lot…..
चंदर मोहन शर्मा जी यह रचना आपकी रचनाओ का कोहिनूर है……..तारीफ करूँगा तो शायद रचना कमतर हो जाएगी क्युकी शब्द ही नहीं है मेरे पास……फिर भी जो यथेष्ट लगे आप उसी को मेरी प्रतिक्रिया समझियेगा……..!
Hahaha kamaal karte hain surinderji aap…Itne achhe pyare bhaav Jo aapne rachna ke liye prakat kiye..usse uttam kuch ho hi nahin sakta…aapka har bhaav dil.se nikalta hai or uska main tahdill se aabhaari hoon….bahut bahut aabhaar iss pyar ka….