हद हो गयी जमाने तेरी सरहद के बटवारे से आगे निय्यत निकलगयी ।
इन्सां बटगया धर्मो मे, फल फुल मेवे aur जानवर भी बांट गयी ।
बकरे, खजुर को मूस्लिम गाय, नारीयल को हिन्दु करगयी ।
हायटेक के दौर मे नियत ऐसी बदल गयी बुराई अच्छाई को कुचल गयी!!
(आशफाक खोपेकर)
writer / director of hindi marathi films member of f.w.a,m.c.a.i and i.f.t.d.a, chairman of dadasaheb phalke film foundation mumbai ,india.managing director of afreen channels [p].ltd, proprietor of afreen music.
सही कहते हैं आप….
बहुत सही रूप से आज के समाज का चित्रण किया है आपने …
एकदम सटीक और समसामायिक परिवर्तन का रेखांकन
बधाई!!
आज की नियत इंसानियत को ग्रस रही है
आपकी ये रचना काव्य पटल पर हँस रही है
बहुत मस्त ज़बर्जस्त