हुस्न लाजवाब झुल्फे काली घटा सी छायी हुई।
परयों की शैजादी या हुर जैसे जन्नत से आयी हुई ।
नजरो से घायल करती नागीन सी बलखाती हुई ।
जां निछावर हर अदापर बेरुखी इस कद्र छाई हुई ।
बद नजरो से बचाने कीउन्हे कसम हम ने है खायी हुई ।
Tasveer unki दिल मे hamne apne है छुपाई हुई
writer / director of hindi marathi films member of f.w.a,m.c.a.i and i.f.t.d.a, chairman of dadasaheb phalke film foundation mumbai ,india.managing director of afreen channels [p].ltd, proprietor of afreen music.
बेरुखी के स्थान पर शायद बेखुदी होना चाहिए
sahi farmayaa janaab dhanyawaad
भावनाओ का अच्चा संयोजन……!
भावनाओ को शब्दों में पिरोने का खूबसूरत कार्य…लिखते समय वर्तनियों में सावहदनी बरते !!
भावनाओ को शब्दों में पिरोने का खूबसूरत कार्य…लिखते समय वर्तनियों में सावधानी बरते !!
तस्वीर उनकी दिल मे हमने अपने है छुपाई हुई, खूबसूरती से सजी rachana । एक बार “तस्वीर” पढ़ें ।
आपकी ये अदा मुझको भी भाई है
शानदार कृति के लिये बधाई है बधाई है