होंगी नहीं रुसवाई ज़माने से मुसीबत में जीना आजाए !
न हो उम्मीद किसी से तो तसल्ली से जीना आजाए !
मुश्किल नहीं है जीना गर अपना बनाना आजाए !
मज़ा आएंगे जामे कौसर का गर pina तुम्हे आजाए !
[ आशफाक खोपेकर]
writer / director of hindi marathi films member of f.w.a,m.c.a.i and i.f.t.d.a, chairman of dadasaheb phalke film foundation mumbai ,india.managing director of afreen channels [p].ltd, proprietor of afreen music.
5 Comments
निवातियाँ डी. के.09/06/2016
मनोभावों को शब्दों में पिरोने का सराहनीय कार्य ………. गैर हिंदीभाषी होते हुए हिंदी के प्रति आपका प्रेम .प्रशंशनीय है !!
अच्छी रचना सर……
गुस्ताखी माफ़……क्या
मज़ा आएंगे जामे कौसर का गर pina तुम्हे आजाए !
के बजाय
मज़ा आएंगे जामे कौसर का गर pina आजाए ! भी भाव को पूर्ण करता है, ऐसा मुझे लगता है क्योकि तुम्हे थोड़ा बोझिल हो रहा है…….!
मनोभावों को शब्दों में पिरोने का सराहनीय कार्य ………. गैर हिंदीभाषी होते हुए हिंदी के प्रति आपका प्रेम .प्रशंशनीय है !!
dhanyaawaad utsah badane ke liye….
heart touching lines sir
अच्छी रचना सर……
गुस्ताखी माफ़……क्या
मज़ा आएंगे जामे कौसर का गर pina तुम्हे आजाए !
के बजाय
मज़ा आएंगे जामे कौसर का गर pina आजाए ! भी भाव को पूर्ण करता है, ऐसा मुझे लगता है क्योकि तुम्हे थोड़ा बोझिल हो रहा है…….!
वाह…क्या बात है जनाब…..