Homeकमल जोशीकमल की कलम : भाग 4 कमल की कलम : भाग 4 K K JOSHI कमल जोशी 09/06/2016 No Comments मोहब्बत यूं ही बेवफा कहां होती है इश्क की आग तो यहां तन्हा रोती है मुकद्दर तो मोम का भी देखा हमने पिघलता है मगर निशानियां रहती है॥ Tweet Pin It Related Posts सागर किनारे आवारापन परछाई About The Author K K JOSHI Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.