Homeकमल जोशीकमल की कलम : भाग एक कमल की कलम : भाग एक K K JOSHI कमल जोशी 09/06/2016 1 Comment मोहब्बत यूं ही नहीँ होती ज़मीन पे चाँद लाना होता है यहां तो पैमाइश लगती है दरिया में किनारा लाना होता है॥ Tweet Pin It Related Posts कमल की कलम : भाग 5 इन्तजार: एक उम्मीद तृप्ति About The Author K K JOSHI One Response निवातियाँ डी. के. 09/06/2016 अति सुन्दर ……………….! Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
अति सुन्दर ……………….!