सर-सनन-सनन तूफाँ आँधी
नभ चहुँओर निखालस^ काला
बादल आखेट निराला..
जब आग बरसती थी नभ से
वह खेत पड़ा सूना कब से
तब देख अगन उस धरती की
अम्बुद ने तपन संभाला
बादल आखेट निराला..
धरणी विधवा, हलधर हताश
एकदम उदास,बिलकुल निराश
तब देख दशा क्षिति-सेवक की
जलधर भी ‘रो’ डाला
बादल आखेट निराला
-रणदीप चौधरी ‘भरतपुरिया’
(^ निखालस=पूरी तरह से)
Nice description of summer conditions from farmers point of view……………
आभार गुरुवर
आप लोगो से मिली प्रेरणा का ही प्रतिफल है।
बहुत सुन्दर………
कृषक का प्रकृति से अम्बर-धरती सा नाता है ……इसको बहुत खूबसरती से शैडो में संजोया है ,,,,,अति सुन्दर !!
अनंत आभार निवतियाँ जी ?
आभार निवतियाँ जी ?
bahut badiya bhai sahib ..
आभार बड़े भाई ☺