इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब तेरी ज़िन्दगी में जगह बना पाऊं।
इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब तेरे सपनों को सिर्फ मैं ही सजाऊं।
इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब तेरे ख्यालों में तस्वीर अपनी बनाऊं।
इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब तेरे सपनों में मैं भी रंग भर पाऊं।
इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब तेरी ज़िन्दगी की बगिया महकाऊं।
इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब तेरी ज़ुबां से अपना नाम सुन पाऊं।
इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब तेरे ख्यालों पर मैं भी छा जाऊं।
इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब मैं तेरे लिए कुछ भी कर पाऊं।
इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब गीत कोई तेरे लिए गुनगुनाऊं।
इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब तेरी ज़िन्दगी का नगमा बन पाऊं।
इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब तेरे लबों का तराना मैं बन जाऊं।
इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब मैं यह इंतज़ार ख़त्म कर पाऊं।
अत्यन्त खूबसूरत. आंतरिक तड़प का बेहतरीन चित्रण
rachna ke bhavo ko samajhne ke liye shukriya shishir ji
बहुत ही सुंदर रचना लिखी है और क्या लाइन्स है पढ़कर मज़ा आ गया
“इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब मैं तेरे लिए कुछ भी कर पाऊं।
इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब गीत कोई तेरे लिए गुनगुनाऊं।”
tarif ke liye bahut bahut shukriya rajiv ji
nice lines…………………….
Thanks Yogesh ji
खूबसूरत रचना ।
इंतज़ार रहेगा मुझे उस दिन का
जब मैं यह इंतज़ार ख़त्म कर पाऊं।