मेरी बात मानो, इरादा जता दो,
ज़माने को अपनी चाहत बता दो,
जीवन हमारा, हम खुद ही जियेंगे,
ज़माने के विष को हम यूँ ही पिएंगे ।
मगर ध्यान रखना, बड़ों का मान रखना,
मोहब्बत पर अपने न तुम गुमान रखना,
कोशिश करना, मान जाएँ सभी,
हमारे प्यार पर न खफा हों कभी ।
उनसे हम बने, उन्होंने ही पाला,
फूल तो हैं हम उन्हीं के प्यार वाला ।
अगर बात मेरी समझ में न आये,
दिल को तुम्हारे वो बिलकुल न भाये,
मुझसे न मिलना, मुझतक न आना,
ज़माने को भी न मिलेगा बहाना,
तुम ढूंढ लेना खुद का कोई किनारा,
मेरा साथ देगी यह नदिया कि धारा ।
विजय कुमार सिंह
Beautifully written…………
thank you very much sir.
क्या बात है विजय जी बहुत ही खूबसूरती के साथ बड़ो का मान सम्मान करते हुए अपने प्यार का इजहार करना बहुत ही खूबसूरती के साथ पेश किया है l
बड़ो का मान सम्मान करना जरुरी है
अति सुन्दर ………………….!!
thank you very much sir.
सही मार्गदर्शन करती युवा पीढ़ी का….बहुत बढ़िया अंदाज़….
आप सबकी समीछा हमारा मार्गदर्शन कराती है, लिखने का प्रयास करने को विवश कर जाती है ।
बहुत-बहुत धन्यवाद पसंद करने के लिए……………