Homeविजय कुमार सिंहतेरे खत का जवाब…… तेरे खत का जवाब…… विजय कुमार सिंह विजय कुमार सिंह 01/06/2016 8 Comments तेरे खत का जवाब लिखता हूँ, हाल-ए-दिल पर किताब लिखता हूँ, तू आये, ना आये, तेरी मर्जी, मैं तो दिल का इंकलाब लिखता हूँ । विजय कुमार सिंह Tweet Pin It Related Posts जीने का ठिकाना हाजमा ख़राब नोटबंदी-सपने अभी तो सपने हैं About The Author विजय कुमार सिंह दिल के भावों को लेखनी का सहारा है, समाज को बेहतर बनाना कर्तव्य हमारा है. आइये आपका स्वागत है हमारे लेखन के दरबार में, पलकें बिछाए बैठे हैं हम आपके इंतज़ार में. EMAIL : [email protected] https://vijaykumarsinghblog.wordpress.com पटना, बिहार 8 Comments Shishir "Madhukar" 02/06/2016 Very nice………………. Reply विजय कुमार सिंह 02/06/2016 Thank you sir. Reply Rajeev Gupta 02/06/2016 बहुत खूब विजय जी Reply विजय कुमार सिंह 02/06/2016 Thanks a lot. Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 03/06/2016 वाह………विजय जी आपभी अच्छा हाथ अजमा लेते है! Reply विजय कुमार सिंह 03/06/2016 क्या करें दिमाग के आदेश पर उंगलियां थिरक जाती हैं, फिर कलम कागज पर खुद ही सरक जाती है । Reply Dr Swati Gupta 03/06/2016 बहुत खूब….सर। Reply विजय कुमार सिंह 03/06/2016 धन्यवाद mam । Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
Very nice……………….
Thank you sir.
बहुत खूब विजय जी
Thanks a lot.
वाह………विजय जी आपभी अच्छा हाथ अजमा लेते है!
क्या करें दिमाग के आदेश पर उंगलियां थिरक जाती हैं, फिर कलम कागज पर खुद ही सरक जाती है ।
बहुत खूब….सर।
धन्यवाद mam ।