छोड़ दो मुझे जाने दो ,
मेरे तमन्नाओ का जहां अभी बाकी है
तेरे तिरिस्कार से छलनी इस जीवन में
मेरे सपनो का ज़हा अभी बाकी है
तेरी हैवानियत की मुझे समझ ही कहा
मेरे बाबा , माँ का प्यार अभी बाकी है
मेरे बचपन को छोड़ दे तू अभी
मेरी मासूमियत का संसार अभी बाकी है
तेरे लिए पल दो पल का फितूर सही
मेरी जिंदगी का हर पल और लम्हा अभी बाकी है
तेरी द्रन्दिगी से पनपे जख्मो से नहीं
मेरे बचपन पे मेरी मासूमियत का निशाँ अभी बाकी है
मुझे तबाह करने ,रौंदने वाले ,
मेरे गुनाहों का पता भी तोह दे मुझको
मेरे छोटे मासूम जिस्म को खरोंचने वाले
मेरी गलती का पता भी तोह दे मुझे …..
अब बस कर मुझे भी जीने दे
मेरी चुप्पी की सजा ना दे मुझे
में इस भरी दुनिया में कमज़ोर सही
तेरे ज़ुल्मो पे पडूँगी भारी …….
मेरा दिल मासूम है तोह क्या
मेरे रहनुमाओ का दिल है बड़ा
कुछ वक़्त बचा है तेरा तू बस जी ले
मेरा खुदा अभी नींद में है बड़ा ……
बेहतरीन रचना है, सत्य को उभरती हुई। एक बार “मुझे स्वर दो, मैं बोलूंगा” भी पढ़ें.
dhanyawaad vijay ji
Marvelous…………………..
Dhanyawaad Madhukar Ji
दिल को छूती रचना है
Thanks Rajeev ji ,
खुबसूरत अभिव्यक्ति…………..!
dhanyawaad ……surender ji …..mein chahti toh thi likhna magar kabhi likha nahi barso baad dil ki iss tamanna ko jaan kar likhna shuru kiya …..aur aap sabh ke comments mujhe likhne ke liye prarit kartey hai …..isliye mein khudh ki writinh ko sudhaar sakoo isliye comment detey rahiyega……