माँ की गोद
अनुपम उपहार है
बालक के लिए
ईश्वर का वरदान है
जिसको नहीं मिलती गोद है
तब रह जाता हूँ अक्सर शोच ये
कितना बड़ा उसके लिए शोक है
जो ईश्वर ने छीनी उससे गोद है
पीड़ा मैं उसकी समझ सकता हूँ
माँ की गोद को तो मैं भी तरस्ता हूँ
होती अगर माँ पास मेरे
मिलती मुझे आशीष उनकी
मुस्कान समेटता उनकी पास मेरे
गोद में रख कर सर उनकी
होता सर पर हाथ मेरे
उस पल को तरस्ता हूँ
माँ क्यों छोड़ कर गई मुझे
मन ही मन मैं तड़पता हूँ
माँ की गोद थी मेरी
अनुपम उपहार
नहीं मिलती मुझे अब उनकी
प्यार भरी आशीष और मुस्कान’
देवेश दीक्षित
9582932268
देवेश दीक्षित जी…….अनुपम रचना
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