रुक – जा, सवेरे वो आएगा….
अंधेरो से उजालो की ओर ले जाएगा.
धीरे से आँचल लहराएगा ….
चुपके से छू-कर चले जाएगा .
थोड़ी शरारत कर जाएगा ….
दिल में ख़्वाबों का आशियाँ बनाएगा .
शब्दों से कुछ भी ना कह पाएगा ….
वादा वो नैनों से दे जाएगा .
राहों में कांटे बिछे हो मगर ,
फूलों की चादर बिछा जाएगा .
सांसो से खुशबू महका जाएगा ….
पलकों से आंसू वो ले जाएगा .
अपना हाथ , वो हाथो में दे जाएगा …..
हर परेशानी अपने साथ ले जाएगा .
देखते ही देखते , एक अफ़साना बन जाएगा ……
और , ये ख़्वाब फ़साना -ए -दिल कह जाएगा .
रुक – जा, सवेरे वो आएगा….
प्रिय की यादों की कल्पना को आपने सुंदर शब्द दिए हैं
सच्चे दिल से प्रीतम की यादों को सजोये……उनके आने का इंतजार………खुबसुरत रचना!
बहुत ही सुन्दर….वाह…..