मां
मेरे आंचल में पलने वालों
यूं मत नोचो आंचल को
आखिर तुम्हारी लगती हूं मां
क्यों पीड़ा पहुंचाते हो मन को ।
मेरा है तुमने दूध पिया
आंचल की छांव में खेले तुम
गोद मेरी रही गिली हमेशा
सूखी जगह रहे हो तुम
आज क्यों फि र बनकर दानव
ललकारते हो जननी को ।
आखिर तुम्हारी लगती हूं मां
क्यों पीड़ा पहुंचाते हो मन को ।
मेरा सारा प्रेम महासागर
न्यौछावर है बेटे तुझपर
मैं हूं तेरे पथ की दर्शक
पाल पोश बड़ा दिया है कर
फि र क्यों मुझको छोटी कहकर
अपमान मेरा करते हो तुम क्यों ।
आखिर तुम्हारी लगती हूं मां
क्यों पीड़ा पहुंचाते हो मन को ।
माँ के दर्द को बखूबी उभारा है आपने………!
बहुत खूबसुरत ………….।।