यूँ दौलत के नशे में चूर इतना न होइए,
मारकर ठोकर किसी के अरमानों को न सोइए ।
नींद उड़ जाएगी आपकी आँखों से सपनो के संग,
किसी की आह आपकी ऐयाशियों से लड़ेगी जंग।
दिल के भावों को लेखनी का सहारा है, समाज को बेहतर बनाना कर्तव्य हमारा है. आइये आपका स्वागत है हमारे लेखन के दरबार में, पलकें बिछाए बैठे हैं हम आपके इंतज़ार में.
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पटना, बिहार