आज पता चला मेरे दिल को
की न्याय नहीं मिलता है सबको .
जानकार दिल ये बहुत दुखी हुआ
की एक निर्दोष को दोषी बना फ़ासी पर लटका दिया .
वैसे तो कितने गुनाह होते होंगे
इस दुनिया में ,पर उसका गुनाह
तो गुनाह हो के भी गुनाह ना था
किशोरावस्था में ही उसकी इज्जत
को तार -तार एक हैवान कर रहा था .
चाहती तो वो भी थी की उसकी ये
अनकही कहानी इस जहां क़ी गुमनाम
गलियों में युही गम हो जाय .
उसकी दर्द भरी दास्ताँ इस
समाज को ही नहीं बल्कि उसके परिवार
को भी नज़र ना आये .
पर शायद खुदा को भी ये
बिलकुल भी गवारा न था .
और इसलिए उसने बदलदी उस
मनहूस रात की वो बेज़ुबान कथा .
खुदा ने इतनी हिम्मत और
जोश बरपाया उस रात उस पर .
की फिर उसको ना रह गयी अपनी
और इस खोखले समाज की फ़िक्र .
रह गया तो बस अपने
अपमान का बदला लेना
और शायद इसलिए उसने धिक् समझा
बलात्कारी को खुद सजा देना .
अदालत में लड़ते -लड़ते शायद
उसे वो सच्चा न्याय ना मिलता
आखिर उसने बलात्कार की कोशिश करने
वाले को चाक़ू घोप दिया था .
इस गुनाह की सज़ा में उसे
जैलनुमा कब्र में उन्नीस
साल तनहा ज़िन्दगी जीने दिया .
सर उढा के नहीं बल्कि एक
नृशंस हत्यारिन बनाकर
उस कब्र में मरने के लिए छोड़ दिया .
उसके खूबसूरत नाखूनों के लिए
जब उसे जेल में चोट पहुंचाई गयी
तो एक बात इस जहां में सिद्ध हो गयी ,
की इस जहां में किसी की ख़ूबसूरती
की कोई कद्र नहीं होती .
होती है तो बस पैसों और
ऊचे ओहदों वालों की .
आज ईरान की छब्बीस बरस
की रेहाना जब्बारी को फ़ासी
पर तो लटका दिया गया .
शारीर तो साथ छोड़ रहा था
पर उसका विश्वास और हिम्मत
ईरान का कानून तोड़ न पाया .
खूबसूरत विचारों से लबरेज़ रेहाना
खुद को मिट्टी न बनने देना चाहती थी .
अपने जज़बे के साथ वो अपने हर
अंग को दान में देना चाहती थी .
इस दुनिया की अदालत ने तो उसे
कातिल और गुनहगार बना दिया
और वो कुछ न कर पायी .
पर अल्लाह की अदालत में
सबको गुनहगार ढहराने की
थी अब उसकी बारी आई .
दिल से दुआ निकल रही है आज
की वो उस पाक अदालत में जीत जाय .
और हर देश में अपने अपमान
का बदला लेने के लिए हर लड़की
में एक नयी रेहाना जाग जाय .
जब इंतेहा होती किसी चीज़ की तो ऐसे कदम उठाने को मजबूर हो जाता इंसान….हर कोई हर किसी की इज़्ज़त अपनी इज़्ज़त समझे और एक सीमा में रहे….और हर घर में अपने बच्चों को समझाया जाए नैतिक मूल्यों को…तो काम हो सकती हैं…आपने दर्द रेहाना का उतारा है रचना में….बहुत संजीदगी से…दुआ है भगवान् सब को सद्बुद्धि दे….
प्रेरक रचना………………..