मैं अवगुन की खान , मेरी मैया बड़ी महान
मैया मैं तो नादान,तुम तो राह दिखाती हो
ओ मैया कष्ट मिटाती हो…….
मैं अवगुन ………
मैं तो हूँ बडा अपराधी,न काम वासना त्यागी
जीवन में आपाधापी मेरी बुद्धि कुबुद्धि हो जाती
अब तुमही हो प्राणाधार,सारे जग की आधार
मैया मैं तो नादान,तुम तो राह दिखाती हो
ओ मैया कष्ट मिटाती हो…….
मैं अवगुन ……
जितना मैं रोकूँ खुद को ,उतना ही फिसलता जाऊँ
इन सारे जंजालो के चक्कर में फँसता जाऊँ
मेरा जीवन हैं बर्बाद, माँ तुमही करो आबाद
मैया मैं तो नादान,तुम तो राह दिखाती हो
ओ मैया कष्ट मिटाती हो…….
मैं अवगुन ………
जब जब भी संकट आया , तब तब तूने है बचाया
अपनी माया को समैटो हे जगजननी महामाया
तेरी लीला अपरंपार संकट से मझे ऊबार
मैया मैं तो नादान,तुम तो राह दिखाती हो
ओ मैया कष्ट मिटाती हो…….
मैं अवगुन ………
माँ की उपासना में जो भी लिखा जाये कम ही रहता है…….!
Nice word dedicate to Mother ….always respectable !!
सूंदर भक्ति रचना ……………………