मुस्कुरा देते है जब कोई हाल पूछता है
हकीकत क्या है कौन पूछता है
इक पंछी मेरे सीने मे घायल वैठा है
बस फकत हरपल अपनी खता पूछता है
पहेली थी सामने बस अदद् एक
चलो मैं हारा पर देखते है कौन बूझता है
हमारी गुमनामी का सबब वो पूछते है
जिनका होना न होना कौन पूछता है
मेरी खामोशी पर हर कोई सवाल करता है
इस खामोशी का गुनहगार कौन पूछता है
बहुत खूबसूरत….
बहुत उन्दा रचना है
Beautiful lines ……..!!