रहने दो, न करो मजबूर इतना,
नैनों से अश्रु-धारा कही फुट न जाये ……………!
तेरी बेवफाई के जुल्मो सितम
सहते सहते सांसो की डोर टूट न जाये ………….!
बर्दाश्त की भी अपनी हद होती है,
बड़ी कमजोर होती है विश्वाश की डोर
कही बातो बातो बंधन ये टूट न जाये ……………..!!
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डी. के. निवातियाँ[email protected]
खूबसूरत रचना सर………..
रचना नजर करने के लिए धन्यवाद प्रियंका !!
बर्दाश्त की भी हद होती है बहुत सही कहा निवातियाँ जी
बहुत बहुत धन्यवाद शिशिर जी !!
दर्द दिल की दास्तान बहुत बढ़िया निवातिया जी ।
उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद काजल !!
मोहब्बत मे विश्वाश होना बहुत जरूरी होता है, अगर विश्वाश ना हो तो रिश्ते टूट ही जाते हैं …………… बहुत ही बढिया निवातियाँ जी !!
सत्य कहा आपने ……..अनेको धन्यवाद सर्वजीत जी !!
विश्वास के बिना प्यार नहीं…प्यार के बिना जीवन व्यर्थ…..अत्यन्त सुन्दर….लाजवाब….
यथोचित कथन बब्बू जी , बहुत बहुत धन्यवाद !!
बर्दास्त की हद होती है……!
विश्वास की डोर कमजोर होती है……!
इन दोनों तथ्यों को जिस तरह आपने रिश्तों के साथ पिरोया है, काबिलेतारीफ है…..
उत्साहवर्धन करती सरहानीय प्रतिक्रिया के लिए अनेको धन्यवाद सुरेन्द्र !!
Itni sunder rachna jo dil ki gehraio se likhi hai uske liye yahi kahunga ” kamal kar diya Nivitiya ji “.
Rajeev ji many many thanks for your appreciation !!
सर। सीमित शब्द् माला में आपने बहुत गहरी बात कही है। बहुत अच्छी रचना
स्वाति जी रचना को गहनता से नजर करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपक !!