काशी सर्व विद्या की राजधानी
यहाँ पढ़ कर लोग बन जाते विद्वान्
मै भी पढूँ काशी में, किसी ने दिया
पिता जी को ऐसा ज्ञान।।
पिता जी के अरमानों को सजोयें
घर से पढ़ने बनारस आया
बनारस प्रवास की पहली रात
कैंट रेलवे स्टेशन पर बिताया।।
रात भर मच्छरों ने मुझमे
गजब की शिव भक्ति जगाई
भोले की नगरी की महिमा पहली
ही रात में मेरे रग रग में उतर आई।।
दौड़ धुप कर मैंने करा लिया
एक अच्छे स्कूल में एडमिशन
घर से दूर निकला था पहली बार
पढाई में कैसे लगता मन।।
दोपहर में जब स्कूल से छूटते
भूख हमे तड़पाती थी।
खुद खाना बनाते,
कभी चावल कभी कभी रोटी
ही जल जाती थी।।
रुखा सुखा खाकर सोना चाहे
वह भी ठीक से नहीं कर पाते थे
कल फिजिक्स की नोट्स दिखानी है
अनायास याद आ जाते थे।।
कभी फिजिक्स, कभी केमिस्ट्री
कभी हिंदी की बारी थी
डंडा खाए बिन नहीं रह पाते थे
उस समय के गुरुजनों की ऐसी
बलिहारी थी।।
कमरे पर जी तोड़ पढाई फिर भी
स्कूल में सर्फ़ एक्सेल की धुलाई
गाली आती थी जुबा पर यारों
किसने पढाई की मुसीबत बनायीं।।
हर बार मासिक टेस्ट में सोचते
इस बार अच्छा नंबर पाउँगा
अधिक नहीं तो कम से कम
अंको का अर्धसतक लगाऊंगा।।
पर प्रश्नों की स्पिन बॉलिंग के आगे
मै क्लीन बोल्ड हो जाता था
अर्धसतक को कौन कहे रे भाई
कभी कभी खाता भी नहीं
खोल पाता था।।
छवि गृहों में लगने वाली नई
फिल्मो का भी चढ़ने लगा था शौक
घर से दूर कौन देखता है हमें
यहाँ किसी का न था कोई रोक।।
कमरे की दीवारें भी माधुरी और
श्रीदेवी से सजाते थे
अचानक से आ गए अभिभावक तो
इन तस्वीरों के उपर ही झट से
दुर्गा काली को चपकाते थे।।
बहुत कोशिश करते थे कोई मिल जाये
पर न हुवा कोई हुश्न हम पर फ़िदा
दोस्तों यूँ तो यह है मेरी दास्ताँ
पर आप भी इससे नहीं जुदा।।
!
✍सुरेन्द्र नाथ सिंह “कुशक्षत्रप”✍
सुरेंद्र हमें भी स्टूडेंट लाइफ याद आ गई. सुंदर रचना
सर मेरी रचना सार्थक हुयी।।
सर आपभी बनारस से ही पढ़े है।। आप मेरे बहुत सीनियर है।। मै भी बी एच यू से ही पढ़ा हूँ।।।।
क्या बात है…खट्टी हो या मीठी…यादें सच में होती बहुत ही प्यारी…बहुत खूब….
बब्बू जी अपने विचार रखने के लिए धन्यवाद…..!
बहुत अच्छी रचना………
धन्यवाद mam……
Hostel life teaches a lot…very nice sir..
स्वाति mam, प्रतिक्रिया के लिए आभार….!
बहुत अच्छी रचना सुरेन्द्र जी !
मीना भरद्वाज जी आपका अति आभार…..!
बहुत बहुत बहुत अच्छी रचना हास्य के साथ अतीत को याद कराती सुंदर रचना
मनोज जी, आपके इस सराहना भरे प्रतिक्रिया के लिए महती धन्यवाद……!
विद्यार्थी जीवन के रंग बिरंगे पलो की खट्टी मीठी यादो को स्मरण कराती सुन्दर भाव अभिव्यक्ति !!
रचना को सराहने और आशीर्वाद देने हेतु धन्यवाद निवातिया जी……..!
सुरेंद्र जी आपकी रचना लाजबाब है ।
काजल जी, धन्यवाद……….!
Dil se likhi hai tabhi to un yaado ko bahut hi khubsurti ke sath paish kiya hai aapne mubarak ho . Bahut hi khub likha hai aapne
राजीव जी, दिल से आभार आपको………..!