उठ देख युहीं क्यों मरता है,
फिर देख खुदा क्या करता है,
जीवन कण कण संघर्ष भरा,
क्यूँ बाधाओं से डरता है।
जीवन क्यों इतना भारी है,
तू जाग अब तेरी बारी है,
कर शंखनाद तुझमे भी कहीं,
वो कृष्ण सुदर्शन धारी है।
बन के चट्टान खड़ा हो जा,
आंधी तूफां को आने दे,
बन बांध घेर ले नदियों को,
और लहरों को टकराने दे।
हर पल को जी, हर पल में जी,
इक पल को भी बेकार न कर,
पल पल बाधाएं आयेंगी,
तू लड़ने से इनकार न कर।
हाथों में कोई अस्त्र न हो,
मन में साहस न करना कम,
भर साँस साँस यु टूट के पड़,
शत्रु को दिखा देना तुम यम।
ऊँगली ऊँगली मुठ्ठी के दे,
और लाल रंग ला आँखों में,
भरके हुंकार अब कर प्रहार,
तू वीर महाबली लाखों में।
चेतना जगती रचना……..!
Very motivational write………….
Chetna ko jagaati rachna…