क्यूँ होता है एहसास रेत में समंदर का
वीराने में बसी किसी बस्ती के मंजर का
फरेब की दस्तक है कुदरत के नजारों में
इंसानियत लुट रही इशारों इशारों में
चमन भी उजड़ रहे अब तो बहारों में
जिंदगी दम तोड़ रही सूखे किनारों में
दिल के भावों को लेखनी का सहारा है, समाज को बेहतर बनाना कर्तव्य हमारा है. आइये आपका स्वागत है हमारे लेखन के दरबार में, पलकें बिछाए बैठे हैं हम आपके इंतज़ार में.
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पटना, बिहार
Nice write…………..
सुन्दर पंक्तिया ………..!!