जिंदगी तुम बेवफा
बचपन में अठखेली
स्वच्छ पारदर्शी मन
यौवन पर दुल्हन
खुशियों में आलिंगन
जोशीला तन-मन
चाहत में उमंग
ढलान पर पतझड़
टूटता अंग-अंग
फिर कटी पतंग
दिल के भावों को लेखनी का सहारा है, समाज को बेहतर बनाना कर्तव्य हमारा है. आइये आपका स्वागत है हमारे लेखन के दरबार में, पलकें बिछाए बैठे हैं हम आपके इंतज़ार में.
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पटना, बिहार
6 Comments
सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप21/05/2016
बचपन जवानी और बुढ़ापा…क्या बात है
जिन्दगी तुम बेवफा हो…….
बचपन जवानी और बुढ़ापा…क्या बात है
जिन्दगी तुम बेवफा हो…….
अति सुन्दर…………..
“पूर्ण जीवन की कहानी
चाँद लफ्जो की जुबानी ”
अति सुंदर
Thanks a lot.
Chhoti chhoti baaton mein hain yaadein badi…..bahut badhiya zingai ka Saar…
Thanks a lot.