नफरत कि आग
वो इस कदर नफरत कि आग दिल मे लगाये बैठे है,
कि अब तो हमारी दुआ सलाम भी बद्दुआ माफिक लगती है ।
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कई बार देखा है मिलाकर उनसे नजरो को
खौफ का आलम ये है कि अब वो भी खंजर माफिक लगती है ।।
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डी़ के़ निवातियॉ[email protected]
नफरत कि आग
वो इस कदर नफरत कि आग दिल मे लगाये बैठे है,
कि अब तो हमारी दुआ सलाम भी बद्दुआ माफिक लगती है ।
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कई बार देखा है मिलाकर उनसे नजरो को
खौफ का आलम ये है कि अब वो भी खंजर माफिक लगती है ।।
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डी़ के़ निवातियॉ[email protected]
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Kya baat hai….kamaal har baar ki tarah…
Suna hai pyaar Jitna gahra hota nafrat bhi…or aise hi nafrat pyar ki seedhi…
Thank you very much …babbu Ji
अविश्वास की डोर बड़ी ख़राब होती है, अविश्वास ऐसा रोग की किसी का आशीर्वाद भी नहीं दीखता, किसी का प्रेम भी दिखावा प्रतीत होता है….चन्द पन्क्तियो में बहुत सटीक बात रची है आपने, वह भी एक अनोखे अंदाज में!
Thank you very much surendra ji.
ऐसा भी होता है…….
Thank you very much Shishir Ji.
मोहब्बत की आग से ज्यादा खतरनाक नफरत की आग होती है ………………. बहुत ही बढ़िया निवातियाॅ जी !!
आपके मधुर शब्दों का हार्दिक धन्यवाद सर्वजीत जी !!
क्या कहने निवातियां जी बहुत सुन्दर