पहले तुमने हमको है जलाया
और हमको है पिया
अब तुमको मैं जलाऊ
और तुमको है पिया |
तुम समझते हो क्या
तुने मुझको है पिया
यही तो भूल है प्यारे
मेने तुझको है पिया |
कश मारे है जो तूने मेरे
और आनंद है जो लिया
मेने आनंद के बदले
तुझे है पिया |
तूने माचिस जला कर मुझे
राख बना डाला
मेने तुझमे ही समांकर
तुझे ही खाक बना डाला |
तूने उस अंदाज मे छोड़ा मुझे
जला कर राख बना डाला
मैं तुझे उस अंदाज में छोडूंगी
की तुझे मेने ख़ाक बना डाला |
मैं आँसूं आने न देती
मैं तुझको रोने न देती
मैं भीतर ही भीतर जला देती
और में तुझको राख कर देती |
मैं खुद भी जलती हूँ
तुझको भी जलती हूँ
भेद इतना है प्यारे कि पहले जलती हूँ
और तुझे जीवन भर जलातीं हूँ |
मैं तुझे बिन दाग कर दूंगी
मैं तुझे ख़ाक कर दूंगी
मैं तो राख ही बनूगी
मैं तो तुग्हे बरबाद कर दूंगी |
बहुत खूब कमलेश जी आज के वक्त में नशे ने हर किसी को अपनी चपेट में लिया है जररूरत है इससे अपनी जिंदगी से निकल कर एक अच्छा समाज बनाने की |
बहुत खूबसुरत………लाजबाब कमलेश जी ।
Nice lines Kamlesh ji…………
Beautiful……
आदरणीय कमलेश जी नशा उन्मूलन से सम्बन्धत रचना सुंदर लगी धन्यवाद
Awosome sir ji fantastic creation