A lesson by flower..
फूल सभी को भाते हैं और कांटे दर्द दे जाते हैं।
इसलिए फूलों की इच्छा रखने वाले काँटो को दूर हटाते हैं।
हम नादान ये समझ नहीं पाते है।
काँटे ही फूलों का सहारा बन जाते हैं।
कोई अस्तित्व न होता फूलों का, अगर काँटे साथ न होते।
इसी तरह अगर दुःख का पता न होता,
सुख का अनुभव कैसे कर पाते।
एक सिक्के के दो है पहलू ।
जब दुःख निराशा लेकर आता है।
उसके बाद का सुख फिर सबको भाता है।
खुशबू लेनी है फूलों की तो काँटो को भी सहना सीखो।
खुशियां लेनी है जीवन में सुख की।
तो दुःख से डटकर लड़ना सीखो।
यही सन्देश फूल हम सबको काँटे सहकर समझाकर जाता है।
और जिसने इसपर अमल किया वो जीवन की हर खुशियां पाता है।
By:Dr Swati Gupta
सुख दुःख जिंदगी के दो रंग है दोनों में से एक बिना जीवन नीरस हो जायेगा…बहुत खूब स्वाति जी
आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत सही कहा आपने…ज़िन्दगी में बुरा न हो तो अच्छे के पहचान नहीं….दुःख न हो तो सुख की कीमत कैसे पता चलेगी….
आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
काटों को भी सहर्ष स्वीकार करना और उसमे हर्ष रुपी फूल खिलाना ही उद्देश्य होना चाहिए, इन्सान का!
अच्छी और चिन्तन जगाती रचना….
आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
Bahut Khub Dr. Swati
आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
विडंबना तो यही है की वास्तविक तथ्य सब जानते है मगर इंसानी फितरत अपने स्वार्थ और चंचल स्वभाव के कारणवश स्वीरकार नहीं करता !!
अति सुन्दर स्वाति जी ……..!!
आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
वाहहह्ह्ह्ह्ह्हह्हह उत्कृष्ट भाव से पिरोये गए इक इक शब्द, अनुपम अभिव्यक्ति है बहुत बहुत बधाई डॉ० स्वाती जी, इसको गीत रूप में लिखे तो अति उत्तम हो जाएगी |
डॉ० राहुल शुक्ल साहिल
प्रयागराज