मेरा जीवन
मेरा जीवन निरसतामय
सुखी सभी नजर आते हैं,
हंसते खिलते मुस्कुराते हुए
प्रसन्नतायुक्त नजर आते हैं ।
लेकर हंसी खुशी का मंजर
और लेकर मैं सलोने सपने
निकला था एक दिन कभी
सुगम अनजाने पथ पर मैं
मुझे पता था क्या वहाँ पर
अँधड़ भूचाल भी आते हैं।
मेरा जीवन निरसतामय
सुखी सभी नजर आते हैं।
कंटकयुक्त राहें बनी
अँधकार सा छाया हुआ
दुखों के बादल घिर आये
मन कंपित सा होने लगा
दस्तक दे दरवाजे पर
क्यों दुख अन्दर आ जाते हैं ।
मेरा जीवन निरसतामय
सुखी सभी नजर आते हैं ।
सच्चाई से सामना होता है तो वास्तविकता समझ पाते है हम……अच्छी रचना…..
इसी इंसानी प्रवर्ति से तो हम सभी को बाहर आना है जिन्हे हर दूसरा व्यक्ति ज्यादा सुखी दिखाई देता है. काम, क्रोध, माध, लोभ व् ईर्ष्या इत्यादि विकारों से छुटकारा पाना ही असली बौद्धिक उन्नति है.