झूठ कैसे भी बोलो , किसी भी तरह से , झूठ कभी सच बनता नहीं है |
दीप कैसा भी हो , किसी भी तरह का , बिना तेल दीपक जलता नहीं है |
पोत कैसा भी हो , किसी भी तरह का , बिना दरिया पोत चलता नहीं है |
मौसम कैसा भी हो,किसी भी तरह का ,बिना सूर्य पंकज खिलता नहीं है |
आदेश कुमार पंकज
Very nice……………….
सही कहा है आपने….यूं ही खिलते रहो….
अति सुन्दर ………..!!