Tribute to Indian Martyr..
एक शहीद सैनिक का अपने परिवार को आखिरी पैगाम।
“मेरी माँ को मेरा अंतिम प्रणाम,
मुझे माफ़ करना मेरी माँ, तेरी गोद को सूनी करके मैं जा रहा हूँ, लेकिन फक्र होगा तुझको अपने लाल पर,
क्योंकि आतंकी हमले से कई माँ की गोद को उजड़ने से बचा रहा हूँ,
माँ मैं तेरे दूध का कर्ज चुका रहा हूँ।
मेरे पिता को मेरा अंतिम प्रणाम,
मुझे माफ़ करना मेरे पिताजी,मैं तेरे बुढ़ापे का सहारा न बन पाया लेकिन तेरी ये बुढ़ापे की लाठी इस भारत माँ के काम आई है,
तेरे इस बेटे ने इस देश की शान बड़ाई है।
मेरी बहन को मेरा अंतिम प्रणाम,
मुझे माफ़ करना मेरी बहना, तेरी राखी के वचन को अधूरा छोड़ कर जा रहा हूँ, लेकिन देश की हर एक बहन की रक्षा करके रक्षाबंधन का फर्ज निभा रहा हूँ।और हजारों भाइयों की कलाई को सूनी होने से बचा रहा हूँ।
मेरी पत्नी को मेरा अंतिम प्रणाम।
प्रिय मुझे माफ़ करना,जिंदगी भर तेरे साथ रहने का वचन न निभा सका,तेरी मांग को सूनी करके जा रहा हूँ
तू आँसू न बहाना क्योंकि तेरे सुहाग ने देश की कई स्त्रियों के सुहाग को बचाया है,
और सैनिक धर्म को बखूबी निभाया है।
मेरे बच्चों को मेरा अंतिम प्यार,
मेरे बच्चों मुझे माफ़ करना, जिस समय तुमको मेरी जरूरत है, मैं तुम्हे छोड़ कर जा रहा हूँ,
मेरी अंगुली पकड़ कर तुमने चलना भी नहीं सीखा है, और मैं अपना हाथ छुड़ा रहा हूँ।
लेकिन तुमको गर्व होगा कि तुम्हारे पिता के इन हाथों ने देश की सुरक्षा का दायित्व निभाया है।
और देश की रक्षा की खातिर,प्राणों को गले लगाया है।
तुम सदा खुश रहो, और अच्छे इंसान बनना।
बड़े होकर भारतीय सेना के नौजवान बनना।
काम कुछ ऎसे करना,कि देश को तुम पर गर्व हो
और तुम इस देश की शान बनना।”
By:Dr Swati Gupta
बहुत भावुक करती पर गर्व का भी अनुभूति देती रचना…..
बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत संवेदनशील….भावुक…सही कहा आपने…जवान सब कुछ बलिदान कर हमें जीवन दान देते हैं…पर हम बाद में न उनको याद करते है…न उनके परिवार को वीरता पुरूस्कार या फिर कुछ धन राशि का सम्मान दे कर अपना कर्तव्य पूरा समझ लेते हैं…..यह उनके बलिदान का अपमान ही करते हैं जब हम उनके परिवार को एक उचित मुकाम नहीं दिल सकते….
बहुत बहुत धन्यवाद
स्वाति जी बहुत अच्छी रचना है आपकी
बहुत बहुत धन्यवाद।
देशप्रेम को प्रेरित करती …भावुक शब्दों से सुसज्ज्ति ….खूबसूरत भावात्मक रचना !!.
बहुत बहुत धन्यवाद।