१) चंद हसीं सांसें शायद हो जाएँ हासिल
गर तुझसे नफरत करना ये दिल सीख ले
२) सब कहते हैं मेरे चेहरे की रौनक चली गयी
कैसे कहूं वो नूर तो तेरी नज़रों ने बक्शा था
३) बहार ले आता है तेरा ख्याल
किताब में रखा वो सूखा फूल भी खिल उठता है
४) समझ से बाहर हैं कुछ रिश्तें
इन्हें चुपचाप जीतें रहे ,तो ही अच्छा है
५) आगाह किया था इस दिल ने मुझे
मैंने एक न सुनी , और इश्क़ हो गया
६) आशिक़ाना तबियत है मेरी
पर एक दिल भी है जो जीता है तेरे सिरहाने
७) ये मुनासिब नहीं की हम तुम मिलें
दुनिया के तंग दायरों में दम घुट जाएगा
८) हर दफा तुझी से इश्क़ हो गया
हर दफा लगा तू नया सा
हर दफा तू जुदा हो जाएगा
ऐसी ख्वाहिश न की थी हमने
–स्वाति नैथानी
बहुत खूब स्वाति जी सुन्दर रचना आपकी |
धन्यवाद !
सारी कडिया जुड़ कर दे रही इश्क की दावत…..मोहब्बत का पैगाम…..दर्द दिल का…..और आखिरी अंजाम….
ऐसा तो मैने सोचा ही नही..वाह
अत्ति सुन्दर….
धन्यवाद…और बेह्तर की कोशिश होगी
स्वाति एक से एक बेहतरीन. पढ़ कर आनंद आ गया. आप बहुत काम शब्दों में बड़ा वज़न भर देती है रचनाओं में. बहुत खूब.
Thanks a lot sir
बहुत अच्छा लिखा है l आपके द्वारा दिल की गहराइयों से महसूस करके लिखे गए ये शब्द कबीले तारीफ है
धन्यवाद राजीव जी
खूबसूरत प्रस्तुति ………..बहुत अच्छे स्वाति जी !