आज मै सुनाऊंगा अपनी पार्टी का चुनावी घोषणापत्र।
आप विस्वास करें या न करें, पर यह पूर्णतया सत्य।।
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मेरी पार्टी न धरने वाली, न ही भगवाकरण करने वाली।
नही यह खानदानी है, नही जंगे आज़ादी लड़ने वाली।।
बड़े नेताओं के चमचागिरी में, जिन्होंने दुर्दिन काटी है।
परिवारवाद में टिकट से वंचित जो, उनकी यह पार्टी है।
बस चन्द नीतियाँ हैं हमारी नहीं खोखले वादों की भरमार।
सबको अजमाया बारी बारी, अबकी हम पर करें एतबार।।
यदि चुनाव जीते तो हम दुबारा आपके दरवाजे न आएँगे।
आपने शासक बनाया हमे, अगले चुनाव तक भूल जायेंगे।।
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सोच स्पष्ठ है मेरी पार्टी का, डिग्री मुक्त भारत लायेंगे।
कम पढ़े लिखे नेता को ही कैबिनेट मिनिस्टर बनायेंगे।।
क्योकि पढ़े लिखे लोग सोचते है राजनीति गन्दी नाली।
राजनेताओं को टीवी में लड़ते देख उनकों आती गाली।।
एक बार भी पलट कर अपने को शीशे में नहीं देखते।
पढ़ा होकर खुद जो अपने घरों में रहते लड़ते झगड़ते।।
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गरीबी भुखमरी बेरोजगारी हम नहीं कभी मिटाने वाले।
गरीबी दूर होते ही आप हमको नहीं घास डालने वाले।।
क्योकि अमीर तो मतदान के दिन आराम फरमाता है।
कतारबद्ध होकर वोट देने में उसका यश चला जाता है।।
बेरोजगारी हमे दिलाती अंधभक्त निष्ठावान कार्यकर्त्ता।
जिनके कंधो पर बन्दूक रखकर हमको मिलती सत्ता।।
हम वों नहीं जों जिस डाल पर बैठे है उसी को काटे।
गरीबी भुखमरी बेरोजगारी हर पार्टी की चुनावी बाते।।
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भ्रष्टाचार उन्मूलन में हमारी सोच आधुनिकतावादी है।
सारे चोर उचक्को के बीच कौन हरिश्चन्द्र सत्यवादी है।।
भ्रष्टाचार दीमक है पर इसे नेता नहीं आप भी बढ़ाते है।
अवैध फरमाईसों का जकिरा चमचों से हमे भिजवाते है।।
नेता आपका सेवक भर है, कैसे आपकी बात न माने।
भष्टाचार अमूर्त प्राणवायु है, यह केवल एक नेता जाने।।
भष्टाचार रूक गया तो महलों वाला भिखमंगा हो जायेगा
पलक भर में ही सफ़ेद चादर ओढ़े इन्सान नंगा हो जायेगा
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कालाधन के खिलाफ हम नहीं चलाएंगे कोई अभियान।
कालाधन कहाँ है और कितना है, हमको नहीं संज्ञान।।
कालाधन रखने वाले ही हर पार्टी को फंडिंग करते है।
जिनकी बदौलत ही नेता तूफानी चुनावी दौरा करते है।।
कभी दिखते कन्याकुमारी तो कभी दिखते कश्मीर में।
कभी आसमां में उड़ते मिलते, कभी गोते खाते नीर में।।
बाबा लोग भी कालेधन पर हमारी छवि कर रहे ख़राब।
वातानुकूलित आश्रमों में खुद जिनका जीवन लाजबाब।।
कालाधन खोजने में न जाने कितने आश्रम ढह जायेंगे।
मुर्दों के कफ़न से पैसे कमाने वाले कहाँ मुँह छुपायेंगे।
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भारतीय लोकतंत्र में ठगने हेतु आन्दोलन होते रहेंगे।
आप इस बार हमे जिताएँ, हम आपकों नहीं ठगेंगे।।।।
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(देश में इमानदार और स्वच्छ छवि वाले नेता और जनता भी है, और मै उनका पूर्ण सम्मान करता हूँ)
✍सुरेन्द्र नाथ सिंह “कुशक्षत्रप”✍
सटीक व्यंग………………
शिशिर जी, आशीर्वाद हेतु आभार…..
Bahut teekha…kataaksh….Waah kya baat hai dhaar ki….par besharmon ki bheed padi hai…kya Kisko samjhai koun…jab tak aag lage na ghar mein…tab tak usse bujhaye koun…
सी एम् शर्मा उर्फ़ बब्बू जी, कोटि कोटि आभार इस खुबसूरत सी प्रतिक्रिया के लिए…….यूँही हौसला अफजाई करते रहें, कलम की धार से कुछ और रचनाएँ निकलती रहेंगी।।।।
बहुत बढ़िया सुरेन्द्र जी ………………… चुनावी घोषणापत्र तो जारी कर दिया, अपनी पार्टी का एक अच्छा सा नाम भी रख देते !!
बड़े भाई सर्वजीत सिंह जी, कृपादृष्टि के लिए कोटि कोटि आभारी हूँ….. पार्टी का नाम एक जटिल काम है….. आप मेरा मार्गदर्शन करें….
सुन्दर कटाक्ष बहुत खूब
भाई मनोज जी, कविता पढने और उस पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए आपका दिल से आभारी हूँ…….