यूँही दर रहा जनसख्या वृद्धि का
हम सब जल्द बेघर हो जायेंगे
जब सोने को जगह नहीं मिलेगा
तब खड़े खड़े हनीमून मनाएंगे
गरीबी भुखमरी व बेकारी का
जनसख्या ही एक कारण है
बेतहासा वृद्धि पर रोक ही सभी
समस्याओं का निवारण है।
जनसख्या को रोकने के लिए
ऐतिहासिक कदम उठाना है
40 साल में सबकी शादी हो
ऐसा वैधानिक कानून बनाना है
हर नव दंपत्ति को नीद की
गोली मुफ्त में बट वाना है
रात्रिकालीन ध्वनि यंत्रो पर
कानूनी प्रतिबन्ध लगाना है।
जब लोगों के वैवाहिक जीवन
का समय कम हो जायेगा
बच्चे पैदा करने की रफ़्तार
पर भी अंकुश लग जायेगा।
लोग रात में जब केवल सोयेंगे
जनसख्या स्वतः रुक जाएगी
देश का चहुमुखी विकास होंगा
सबके घरों में खुशहाली आएँगी।।
✍सुरेन्द्र नाथ सिंह “कुशक्षत्रप”✍
मन मे ऐसे ही हसने हमाने के मन किया तो कुछ लिपि बद्ध कर दिया……..
मैने पाया है कि जब ट्रेन रात मे 3 बजे के बाद शोर मचाती हमारे बगल से गुजरती है तो फिर सब जग जाते है..
आगे आप समझ ही गये होंगे……
अच्छा गुदगुदाने वाला हास्य व्यंग
धन्यवाद शिशिर जी…….
हास्य व्यंग के पीछे गहरी सोच ………….. बहुत अच्छे सुरेन्द्र जी !!
सर्वजीत सिंह जी आभार आपका, प्रतिक्रिया देने के लिए……..
हास्य व्यंग के माध्यम से एक गम्भीर मुद्दे पर बेबाकी से अपने विचार रखकर सजगता की मिसाल पेश की है आपने …अति सुंदर ।।
निवातियाँ जी, इतनी अच्छी तारीफ के लिए महती आभार……. एक और हास्य फूलझड़ी “बुझाने गए है” का भी अवलोकन करें और बताएं की हँसाने में कितना कामयाब हो पाया हूँ।।।।।।।
Bahu sunder kavyapaath hai
Veer Rash ki poem s