हम क्यों राजनीति में घुस जाते है l
राजनीति पार्टी को दिल से लगाते है ll
पार्टी कोई भी हो वो रंग जाती है l
वो सिर्फ अपनी कुर्सी बचाती है ll
राजनीति तो शतरंज की बिसात है l
इसको समझ पाना टेढ़ी बात है ll
ये आज लड़ते है फिर मिल जाते है l
हम यू ही आपस में लड़ते जाते है ll
मत छोड़ो दिलो में राजनीति की छाप l
वो कांग्रेस हो बीजेपी हो या हो आप ll
हमारे भूखे पेट को ये नेता नहीं भरेंगे l
ये तभी भरेंगे जब हम मेहनत करेंगे ll
आओ प्रण लो ……………….
आज से हमारा ना हो कोई पार्टी निशान l
समाज सेवा से खुद बनाओ अपनी पहचान ll
जिस दिन हम सभी ये बात समझ जायेंगे l
ये नेता हमारे जज्बातों से खेल नहीं पाएंगे ll
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आपने महत्वपूर्ण बात कही है ……..
इसी सोच को जिन्दा करना है लोगो के दिलो में….बहुत खूब
सत्य कहा आपने … जिस दिन समाज में ये सोच पैदा हो जायेगी ….देश और राजनीति का परिदृशा ही बदल जाएगा !!
शायद राजनीति नैतिक शाष्त्र पर निर्भर नहीं करता, उसकी बिसात ही झूठ की बुनियाद पर टिकी होती है…
फिर भी हम एक नवयुग की शुरूआत कर सकते है…