राजनीति में
शेर ओर सियार सारे
राज वन पर करने आये।
राजनीति के दांव पेंच
प्राणियों पर जमाने आए पेंठ,
शांति का प्रतीक
श्वेत पोश पहनकर आये ।
शेर ओर सियार सारे
राज वन पर करने आये।
अन्दर कौवा बाहर बगुला
नसों में रक्त थिरकता काला
नीति के दो रंग बताये
शेर ओर सियार सारे
राज वन पर करने आये।
मातम मचाया चारों ओर
वोट हमें दो का ये शोर
कैसे आये जंगल में ये चोर
सोंचे समझे और विचारें
शेर ओर सियार सारे
राज वन पर करने आये।
राजनीति का शायद यही स्वरुप है, पर हम नैतिकता के तराजू पर इसे तौलते है तो यह स्वरुप विकृत रूप में नजर आता है।। अधिकतम कविगण राजनीति के इसी पक्ष को वर्णित करते है।। राजनीति के अन्य पक्ष भी है। जब हम राजनीति के स्वरुप पर लिखे तो एक पक्षीय होना ठीक नहीं…..