हमारा सरकारी तंत्र
लाख कोशिस कर ले कोई
या कर ले तंत्र -मंत्र
ना सुधरेंगे नेता जी
ना सुधरेगा सरकारी तंत्र
छोटे मोटे कामो के भी
लेते है वे घूस
जनता के मेहनत की कमाई
लेते है वे चूस
पृथ्वी से भी ज्याद वे
चक्कर है लगवाते
सरकारी काम करवाने में
चप्पल है घिस जाते
ऊपर से नीचे तक
सब भ्रस्टाचार में लीन
क्या करे ये जनता
वे भी उनके अधीन
नेता जी की बाते
हमें समझ नही आते
पशूओं का चारा भी
वे ही खा जाते
चुनावी सभाओ में
करते है कई वादे
जितने के बाद
नजर नही है आते
अजब है देश की हालत
हर जगह हो रहा पाप है
पढे-लिखे बैठे है घर में
देश चला रहे अंगूठा छाप है
पियुष राज ,राजकीय पॉलिटेक्निक ,दुधानी, दुमका |
पियूष जी अच्छा लिखा है आपने, बात यही अटक जाती है की लोग पढ़े लिखे है पर जागरूक नहीं।। पढना और पेट पालना यह अलग बात है और सजग होना अलग।। सरकारी तंत्र पर और नेता पर अच्छा लिखा है।।।