हंस वाहिनी , वीणा वादिनी ,
ज्ञान दायिनी , मेरी माँ |
मन मंदिर का कलश लिए हूँ ,
उसे ज्ञान से भर दो माँ |
मन बगिया के पुष्प खिलाकर ,
कण – कण सुरभित कर दो माँ |
खोल सभी के ज्ञान – चक्षु को ,
सबको हर्षित कर दो माँ |
बुरे विचारों की ज्वाला को ,
अब आ शीतल कर दो माँ |
अपनी दया भावना से अब ,
हर मन निर्मल कर दो माँ |
सब भक्तों के जीवन को ,
अब प्रकाश से भर दो माँ |
पंकज हम सब द्वार खड़े हैं ,
सब की झोली भर दो माँ |
आदेश कुमार पंकज
अति उत्तम….ऐसा ही हो….
अति सुन्दर …………..!!
सुंदर अति सुंदर