Homeअज्ञात कवि” न सके “ ” न सके “ Kajalsoni अज्ञात कवि 10/05/2016 4 Comments कहे जो लब्ज तुमने, उसे कागज पर उतार न सके । दिल ने लिया जिसका नाम, होठो से उसे पुकार न सके । थी कुछ रंज इस मोहब्बत मे, थी कुछ कशिश इस चाहत मे , तभी तो आपने सब जीत लिया, यु ही इस खेल मे दिल हार न सके ।। काजल सोनी Tweet Pin It Related Posts भटकता बचपन – Bhawana Kumari खुदा का है दरबार – अनु महेश्वरी व्यर्थ ना जाने देगे कुर्बानी-Bhawana kumari About The Author Kajalsoni 4 Comments babucm 10/05/2016 लाजवाब….नायाब…..बहुत बहुत लाजवाब…..जय हो… Reply सुरेन्द्र नाथ सिंह कुशक्षत्रप 10/05/2016 अच्छी रचना, प्रेमी के मनः स्थिति और उसके प्यार के भाव की सुंदर प्रस्तुति Reply Kajalsoni 10/05/2016 उत्साहित करने के लिए धन्यवाद आपका Reply Shishir "Madhukar" 10/05/2016 Very nice …………….. Reply Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
लाजवाब….नायाब…..बहुत बहुत लाजवाब…..जय हो…
अच्छी रचना, प्रेमी के मनः स्थिति और उसके प्यार के भाव की सुंदर प्रस्तुति
उत्साहित करने के लिए धन्यवाद आपका
Very nice ……………..