अच्छा मैं जानता हूँ खुद को
खुद से जादा !!
मैं जीत जाऊँगा ये लड़ाई
बचा है इतना तो अब भी विश्वास..
रोज़ बिस्तर पे जाने से पहले
मेरी हालत वाकई बदतर है
पर हालात बदल रहें है
ऐसा मैं कर भी रहा हूँ महसूस
देखो मैं तुमसे अलग खड़ा हूँ
एक पल भी तुम्हारी छाया से
जो ना होता था अलग
आज देखो तो कैसे बेबाक
पिरो रहा अक्षरों को पन्नों पर
हमारी रातें भी देखो जुदा होगयी हैं
और हर सुबह भी देखो कैसे अलग हो गयी
माफ कर देना हो सके तो मुझे
जो मैं झेल ना सका हालातों की मार
वादा जो किया था
ना जाने दूँगा तुम्हें
पर आज के दौर में कहाँ टिकती है
वफा, बेवफाई के लिबाज में
जो बातें गुलाम थी तुम्हारी
आज एक दम जुदा हैं तुमसे
मालूम है मुझे पढ़ते होगे जब भी तुम
मेरे हर एक शब्दों को
तो कुछ सिलवटें तो दिमाग में
यादों की पड़ जाती होंगी
भले कोई और बहाना मिल गया हो तुम्हें
पर लम्हे के लिए सही
जी लेते होगे तुम खु़दी को मुझमें
क्योकी मैं जानता हूँ खुद को
खुद से जादा !!
मैं जीत जाऊँगा ये लड़ाई
बचा है इतना तो अब भी विश्वास..
(24 Feb 2016)
जितनी की कोशिश में दर्द का ब्यान अच्छा है….
इस एकतरफा खेल में जीत संभव नहीं.,.,.,
बस अल्फाजो से जीत के दिल सुकु फरमाता है
अति सुन्दर……………..!!