जाने क्यु खफा है ये सावन बेगाने तेरे गीत गाए बिना ।
प्यार का है मौसम, होठो की शबनम है कुछ कम,
ऑखो से झलक न जाए अश्क, बिन तेरे ऑखो से ऑख मिलाए बिना ।
जाने क्यु खफा है ये सावन बेगाने तेरे गीत गाए बिना ।
ऑसमा है आॅगन, ढली हुई है शाम सुहानी,
पल पल कुछ कहती मुझसे ये बात पुरानी ।
जी करता है तुझसे मिल बैठु, तुमको कुछ बताये बिना
जाने क्यु खफा है ये सावन बेगाने तेरे गीत गाए बिना।।
शाम भी दीवाना है और हम भी ,
खामोश लगते है लब भी,
खबर है ये चली आई कि, लौट आया है परदेशी कोई खबर बिन बताये बिना ।
जाने क्यु खफा है ये सावन बेगाने तेरे गीत गाए बिना ।।
काजल सोनी
सुन्दर अभिव्यक्ति ______!!