तिनका तिनका जोड़ा तुमने, अपना घर बनाया तुमने
अपने तन के सुन्दर पौधे पर हम बच्चों को फूल सा सजाया तुमने
हमारे सब दुःख उठाये और हमारी खुशियों में सुख ढूँढा तुमने
हमारे लिए लोरियां गाईं और हमारे सपनों में खुद के सपने सजाये तुमने.
हम बच्चे अपनी अपनी राह चलते गये, और तुम?
तुम दूर खडीं चुपचाप अपना मीठा आर्शीवाद देतीं रहीं.
पल बीते क्षण बीते….
समय पग पग चलता रहा…अपना हिसाब लिखता रहा…और आज?
आज धीरे धीरे तुम जिन्दगी के उस मुकाम पर आ पहुंची
जहाँ तुम थकी खड़ी हो —शरीर से भी और मन से भी.
मेरा मन मानने को तैयार नहीं, मेरा अंतर्मन सुनने को तैयार नहीं…
क्या तुम्हारे जिस्म के मिटने से सुब कुछ खत्म हो जायेगा?
क्या चली जाओगी तुम अपने प्यार की झोली समेट कर?
क्या रह जायेंगे हम तुम्हारी भोली सूरत देखने को तरसते हुए?
क्या रह जायेंगे हम तुम्हारी गोदी में छुपा अपना बचपन ढूँढते हुए?
बोलो माँ?
क्या कह जाओगी इन चंदा सूरज धरती और तारों से?
इन राह गुज़ारों से…..नदिया के बहते धारों से?
क्या कह जाओगी माँ? किसी सौंप जाओगी हमें माँ?
या फिर….? या फिर….?
बिखरा जाओगी अपना प्यार अपनी दुआएं और अपनी ममता
इस कायनात के चिरंतन समुन्दर की लहर लहर पर?
क्या इस जनम में चुन पायेंगे हम वो दुआएं?
पर वादा है माँ…..
इन सब जनमों के पार हम फिर मिलेंगे
तुम्हारी दुआएं चुन कर.
तुम्हारे प्यार से भरी झोली समेट कर, एक नया जिस्म ले कर
हम फिर मिलेंगे माँ…
जन्म जन्मान्तरों से परे…हंसते मुस्कराते.. हम फिर मिलेंगे
फिर एक नई दुनिया बसाएँगे…
इन बिखरते आंसुओं को चुन कर खुशियों में बदल देंगे
पापा, मै, तुम और बच्चे, हम फिर मिलेंगे, हमेशां साथ साथ खुश रहेंगे.
इन शब्दों को लिखते जीते जो आंसू मैने गिराये
और जो तुमने नहीं देखे,
वो आँसू तुम पर मेरा क़र्ज़ हैं माँ….
तुम्हें भी ये क़र्ज़ चुकाना होगा
इन बिखरे आँसूओं को समेट कर खुशियों में बदलना होगा
तुम्हें भी एक वाद करना होगा…..
क्या फिर से एक बार जन्म जन्मान्तरों के पार मिलोगी?
क्या फिर एक बार मुझसे लाल धागे का रिश्ता जोड़ोगी?
क्या फिर एक बार मुझे अपने तन पर सुन्दर फूल सा सजाओगी?
क्या फिर मेरी नन्हीं उंगली थामे मेरे संग-संग चलोगी?
क्या फिर मेरी वाणी पर अपना सम्मोहन बिखराओगी?
क्या फिर अपनी ममता की छाया से मेरा जीवन संवार दोगी?
क्या फिर अपनी मीठी लोरियां गा कर मुझे सुलाऔगी?
क्या फिर मुझे सजना संवरना और गुनगुनाना सिखाओगी?
क्या फिर मेरे नन्हे पंखों में ऊंची उड़ान भरोगी?
बोलो माँ? क्या फिर एक बार मिलोगी?
i tears first time…perhaphs
kavita ko pad kar mera aakaho me aashu aagye. dil ko choo gyi kavita. thanks
Good poem