(यह रचना मेरी पहली रचना “बात सिर्फ तुमसे” के प्रतिउत्तर रूप में है….”बात सिर्फ तुमसे http://www.hindisahitya.org/70263″ भी पढियेगा…)
तुमको हम तुमसे मिलाएं तो मिलाएं कैसे….
राज़-ऐ-दिल तुमसे सुनें..तुमको सुनाएं कैसे….
मेरा जुर्म उल्फत है…तेरा अहद-ऐ-वफ़ा….
मेरी तकदीर को तेरी से मिलाएं कैसे….
कौन जीता है कौन मरता किसी की खातिर…
ऐसा होता तो खुदा हमको…बनाये कैसे….
तुम तो इक बार ही देखे हो…इश्क़ का मरना…
ज़िन्दगी खुद हो जनाज़ा जो..रोज़ उठाएं कैसे…
दर्द दिल..रूह के अश्कों से निकल आते हैं…
अश्क़ आग और बढ़ा दें…तो बुझाएं कैसे….
ना तो अब ईद मेरी कोई….ना ही दिवाली है….
दिल जो हर पल ही सजा दे तो मनाएं कैसे…
ज़िन्दगी बदहवास सी बिखरी पड़ी है रेत पे ‘बब्बू’…..
अज़ादार खुद ही का..किसी औरको डुबाए कैसे…
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/सी.एम. शर्मा (बब्बू)
फिल्म साजन के गीत के मुखड़े “जीये तो जीये कैसे” की धुन पर खूबसूरत रचना पेश की आपने, बहुत उम्दा !!
हा हा हा…साजन का गीत भी याद दिल दिया आपने….वाह…बहुत बहुत आभार आप का…
जीवन की सच्चाई सम्मिलित है आपके शब्दो मे
बहुत बहुत आभार…..आप मेरी पहली रचना ‘बात सिर्फ तुमसे http://www.hindisahitya.org/70263‘ भी पढियेगा….
बब्बू जी रचना तो बहुत खूबसूरत है मगर शेर कुछ सुने से महसूस होते हैं. मेरा आपकी योग्यता पर कोई प्रश्न नहीं है
हो सकता संयोग हो…हाँ आपको याद आये तो कृपया मुझे अवगत ज़रूर करा दीजिएगा….मेरी पहली रचना “बात सिर्फ तुमसे http://www.hindisahitya.org/70263” आप ने पढ़ी है…हो सकता वो दिमाग में हो…कुछ भी हो…आप मुझे ज़रूर अवगत करा दिजएा कृपया…आप गुणीजन की प्रतिकिर्या से अपने आप को सुधरने का अवसर मिलता है….आभारी हो दिल से आपका…..बहुत बहुत आभार….