रोशन
सब कुछ फीका लगने लगा है
तेरे हुस्न के सामने ……………………
वरना ये महफ़िल रोशन थी
तेरे आने से पहले …………………….
शायर : सर्वजीत सिंह
[email protected]
रोशन
सब कुछ फीका लगने लगा है
तेरे हुस्न के सामने ……………………
वरना ये महफ़िल रोशन थी
तेरे आने से पहले …………………….
शायर : सर्वजीत सिंह
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Limit of appreciation has been well defined. Lovely
Thank you very much for the appreciation Madhukar Jee.
बहुत खूब….
वो आये बज़म में ये तो “मीर” ने देखा…उसके बाद चरागों में रौशनी न थी….
प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद शर्मा जी !!
बहुत याद आये तुम आने से पहले और जाने के बाद।।।
बहुत खूब लिखा है सर्वजीत जी आपने।।।
बहुत बहुत शुक्रिया सुरेन्द्र जी !!
हुस्न की पराकष्ठा …………..लाजबाब सर्वजीत जी !
“हर शमा रोशन तेरे चेहरे से.. तू नहीं तो कुछ भी नहीं “
तारीफ के लिए तहे दिल से शुक्रिया निवातियाँ जी !!
लाजवाब ……………………..!!
बहुत बहुत धन्यवाद अनुज जी !!