दिल मे है जसबात मगर बता न सके,
कैसे गुजरेगी जिदंगी, सर्म तो थी मगर सरमा न सके ।
क्या बताये क्या गुजरी इस दिल पर, अपने तो थे मगर अपना न सके ।
जिया तो सिर्फ अपने लिए, हम हिस्सा किसी को बना न सके ।
किसे पता है जिदंगी के वो लम्हे, खूब रोयी है ये ऑखे मगर कभी ऑसु बहा न सके ।।
काजल सोनी
ऐसा द्वन्द जो हर इंसान महसूस करता है….बहुत खूब…