हम तुम्हारी चाहत मे अक्सर
मौसम की तरह बदलते है ।
कभी दिवाने से लगते है,
कभी पागल बन कर फिरते है ।।
तुम दुर नही पास लगती हो ,
ख्यालो मे जो रहती हो ।
रुख तुमने हमसे मोड़ा है ,
पर हम जिक्र तुम्हारा करते है ।
आशियाना तुम्हारा दुर भला,
दिल मे ही हम तुम्हे रखते है।
सूनी सुनी गलियो मे चल कर ,
हम राह तुम्हारी तखते है ।
आईनो मे देखा करते है,
और सपनो मे मिला करते है।
हम तुम्हारी चाहत मे अक्सर ,
मौसम की तरह बदलते है ।।
” काजल सोनी ”
बहुत सुन्दर मनोभाव उज्जागर किये आपने…..चाहत है ही ऐसी की दिल हर पल हर जगह उसी को देखता है….
धन्यवाद सर जी
उत्साहित करने हेतु
अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति !!