जब दूल्हा दुल्हन मिलते हैं तन का आकर्षण होता है
एक दूजे के संग रह कर ही शख्सों का अहसा होता है
सपनों की दुनियाँ के आगे जब सच से सामने होता है
टूटे ख्वाबों का दर्द लिए तब हर व्यक्ति तन्हा होता है
इससे पहले की दूर हों साथी बच्चे परिवार में आते हैं
फिर नए सिरे से उन दोनों के रिश्ते परिभाषा पाते हैं
नव जीवन के लालन पालन की वो संरचना करते हैं
धीमे धीमे फिर वो दोनों एक दूजे के दिल में बसते हैं
जो भी जीवन में ये रिश्ते शिद्दतों के साथ निभाते हैं
वो ही तो इस दुनियाँ में सफल दम्पत्ति कहलाते है .
शिशिर मधुकर
वाह क्या बात है…बहुत ही सुन्दर तरीके से रिश्तों को समय के साथ जीने के अंदाज़ को ब्यान करती रचना…बहुत ही सुंदर मधुकरजी….
दाम्पत्य जीवन का सम्पूर्ण सार समेत दिया आपने !! बहुत अच्छे शिशिर जी !!
धन्यवाद निवातियाँ जी. आपको ये रचना मैंने पहले भी व्हाट्सप्प पर भेजी थी.
बिलकुल शिशिर जी ……..मैंने सपरिवार पढ़ी थी आपकी रचना !!
शर्मा जी रचना पढ़ने और सराहने के लिए आपका शुक्रिया
गृहस्थ जीवन की सुन्दर परिभाषा .
thank you so very much Meena ji for your admiration
विवाह केवल बंधन नहीं अपितु जीवन पद्धति है।। आपने रचना के माध्यम से अच्छा उकेरा मनभाव को
Thanks a lot Surendre ………..
दाम्पत्य जीवन की सच्चाई को ख़ूबसूरत शब्दों में पिरोय दिया आपने ………… बहुत ही बढ़िया मधुकर जी !!
सर्वजीत रचना पसंद करने का शुक्रिया