मोहब्बत के मारे
दुनिया की इस भीड़ में ……………………….
इक हम अकेले ही नहीं जो मोहब्बत के मारे हैं
वैसे तो भटक रहें हैं लाखों मजनूं ……………………
अपनी लैला की तलाश में
शायर : सर्वजीत सिंह
[email protected]
मोहब्बत के मारे
दुनिया की इस भीड़ में ……………………….
इक हम अकेले ही नहीं जो मोहब्बत के मारे हैं
वैसे तो भटक रहें हैं लाखों मजनूं ……………………
अपनी लैला की तलाश में
शायर : सर्वजीत सिंह
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सत्य वचन …………बहुत अच्छे सर्वजीत जी …..!!
बहुत बहुत धन्यवाद निवातियाँ जी !!
दूसरों का दुःख देखा तो अपना गम भूल गया…सत्य कहा आपने सर्वजीत बाबू
बहुत बहुत धन्यवाद सुरेन्द्र जी !!
बहुत बहुत धन्यवाद निवातियाँ जी !!
सर्वजीत यदि मजनू के स्थान पर कैस का प्रयोग करोगे तो सुंदरता ज्यादा होगी.
खूबसूरत सुझाव के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मधुकर जी …………………….. लेकिन सर कैस को बहुत कम लोग जानते हैं पर मजनूं को सारी दुनिया जानती है इसलिए ही इस शब्द का प्रयोग किया गया !!