निगाहें
कातिल निगाहों से ना देखो ऐसे
के कहीं हम मर ही ना जायें ……………..
अभी तो वादा किया था तुमने
उम्र भर साथ निभाने का ……………………
शायर : सर्वजीत सिंह
[email protected]
निगाहें
कातिल निगाहों से ना देखो ऐसे
के कहीं हम मर ही ना जायें ……………..
अभी तो वादा किया था तुमने
उम्र भर साथ निभाने का ……………………
शायर : सर्वजीत सिंह
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उम्दा……सर्वजीत जी !! आपकी शान में तो पंक्तिया अर्ज करता हु गुस्ताखी माफ़ कीजियेगा !!
“कातिल निगाहो की गुस्ताख अदाये,
जब भी उठे पलके, हम मर मर जाये “
प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद …………… आपकी बहुत ही खूब पंक्तियाँ है निवातियाँ जी !!
जवाब नहीं आप के अंदाज़-ऐ-बयान का भी…
शर्मा जी प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आपका !!
अति सुंदर ………….
प्रशंसा के लिए तहे दिल से शुक्रिया मधुकर जी !!
क्या बात है…प्यार में मर के ज़िंदा रहने का अंदाज़े ब्यान…
जवाब नहीं आप का
बहुत ख़ूब इन्दर जी प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!